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Television Side Effects |
4 कारण, जिसे पढ़ कर आज से ही टीवी देखना छोड़ देंगे.
टीवी से हो रहा ब्रेन वाश
हम सही को गलत और गलत जो सही समझने लगते हैं,क्योंकि हमारा brain wash कर के गलत धारणाओं को हमारे जहन में उतार दिया जाता है.इसे इतने व्यवस्थित ढंग से अंजाम दिया जाता है कि हमें पता भी नहीं चल पता की हमारा brain wash किया जा चूका है.
चलिए दैनिक जीवन में होने वाले कुछ उदाहण की मदद से इसे समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर टीवी देख कर हमारी सोच किस तरह से बदल रहा है.
- आप सुबह-सुबह उठते हैं और सोचते हैं कि चलिए थोड़ा समाचार देख लेता हु देश-दुनिया में क्या हो रहा है,दो-चार सामान्य न्यूज़ देखने के बाद आप एक ऐसा न्यूज़ देखते हैं कि कहीं दंगा हो गया है जहाँ हिन्दू और मुस्लिम आपस में लड़-मर रहें हैं.
अब आप तुरंत उठ कर बैठ जाते हैं और अपने टीवी का आवाज बढ़ा कर पूरी सिद्दत से उसे देखने लगते है.यह सिलसिला लगातार चलता रहता है हमें रोज कहीं ना कहीं लडाई-झगडे, दंगे-फसाद का समाचार देखने या सुनने को मिल ही जाता है.यह कभी हिन्दू-मुस्लिम तो कभी दलित को लेकर होता रहता है.
जैसा की कहा गया है न कि अगर बार बार किसी झूठ को देखा जाये तो वह भी सच प्रतीत होने लगता है.
यही बात यहाँ पर भी लागु होती हैं जब हम रोज कुछ इसी तरह के समाचार से रूबरू होते रहते हैं तो यह बात हमारे अवचेतन मन में जगह बना लेती है.और हमारे सोचने का दृष्टिकोण बदलने लगता है.
इस तरह के समाचार को बार बार देखने के बाद हिन्दू मुस्लिम को सही नहीं समझता और मुस्लिम हिन्दू को.
लेकिन अगर हम टीवी से निकल कर बाहर की दुनिया को देखते हैं तो यहाँ आपको नज़ारा बिलकुल ही उलट दिखता है,जो की टीवी चैनल वाले कभी आपको नहीं दिखाते.रियल दुनिया में अगर नजर उठा कर देखें तो बहुत से ऐसे राजू मिल जायेंगे जिनका बेस्ट फ्रेंड रहीम है,जिसे टीवी ने एक दुसरे का जानी दुश्मन बना कर दिखाया था.अब बात करते हैं इसकी सच्चाई कि तो बहुत बार यह साबित हो चूका है की सिर्फ TRP के चक्कर में टीवी चैनल ने किसी भी मुद्दे को जानबूझ कर हिन्दू-मुस्लिम से जोड़ कर दिखाया है जिसका वास्तविकता से कोई नाता नहीं होता.और सोशल मीडिया पर तो ऐसे ढेरों भड़काऊ पोस्ट भरे पड़े हैं.जो लोगों को गुमराह करने के उद्देश्य से ही शेयर किया जाता है.मेरी आपसे सिर्फ एक गुजारिश है कि सच्चाई देखने के लिए सिर्फ आँख ही नहीं दिमाग भी खुला रखें.
- टीवी पर सास-बहु के धारावाहिक बहुत लोकप्रिय होते हैं.जिन्हें देखकर घर में झगड़े के नए आयाम खुलते हैं.आपने भी इस बात को कभी ना कभी महसूस किया होगा.
- फिल्म के लड़ाई वाले सीन को देख कर बच्चे भी ढिसुम-ढिसुम करने लगते है.देखा है ना..
- आज से कुछ साल पहले जब शक्तिमान आता था तो उसे देख कर बच्चे छत से छलांग लगा रहे थे.और बचाओ शक्तिमान बचाओ शक्तिमान चिल्ला रहे थे.ऐसा करने से बहुत से बच्चे घायल हो गए थे
समय की बर्बादी
दिमाग में कचरा भरा जा रहा है.
गुमराह करना
किसी एक की बात आपको गलत लग सकता है,2 की बात गलत लग सकता है लेकिन अगर एक ही बात बहुत से लोग बार बार कहें तो वह गलत बात भी सही लगने लगाती है.
इसी फोर्मुले का इस्तेमाल आज के समय में किया जा रहा है.
आपको एक ही चीज को घुमा फिरा कर दिखाया जाता है,और धीरे धीरे आपको वह बात सच लगने लगाती है,जो कभी सच था ही नहीं.
अगर आप चाहते है की आपके दिमाग को कोई और कण्ट्रोल ना करे तो आपको टीवी देखना छोड़ देना चहिये.
नहीं तो आपको पता भी नहीं चलेगा की कब आपकी स्वतंत्रता छीन गयी.और आपके ऊपर किसी और का नियंत्रण हो गया.
आप अपना राय हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं.
धन्यवाद.
बिल्कुल सही कहा सर ये पोस्ट आपकी बहुत हेल्पफुल है
वैसे मुझे भी टीवी देखने में कोई रूचि नही है
आपसे अनुरोध है कि एक बार मेरी site भी जरुर खोलकर देखें https://www.jasknowledge.in
आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, मन लगा कर करते रहिये.
good job , bahut acha